देश में छायी आर्थिक मंदी की वजह से जहां बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, वहीं केंद्र सरकार वैकेंसी होने के बावजूद भर्तियां नहीं कर रहीं. प्राइवेट सेक्टर ने नई भर्तियां लगभग रोक रखी हैं. इस बीच संसद में बीजेपी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए सरकार ने ही माना है कि लाखों पद खाली हैं लेकिन उस पर बहाली नहीं हो रही है. इससे बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किरकिरी हो रही है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में शंकर अय्यर ने संसद के दोनों सदनों में पूछे गए कुल 14000 सवालों और उनके जवाबों से निकले आंकड़ों पर एक रिपोर्ट लिखी है. उसके मुताबिक, बीजेपी सांसद शारदाबेन पटेल ने सरकार से केंद्र सरकार में वैकेंसी से जुड़े सवाल पूछे थे. इसके जवाब में जो कहा गया, वो चौंकाने वाला है. केंद्र सरकार ने माना कि केंद्र में कुल स्वीकृत 38.02 लाख पदों में से करीब 6.83 लाख पद खाली हैं. यानी कुल पदों में से 18 फीसदी पद खाली हैं, जबकि देश के नौजवान रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
राज्यसभा में बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पूछा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में वैज्ञानिकों के कुल कितने पद खाली हैं? इसके जवाब में सरकार ने सदन को बताया कि 6,546 कृषि वैज्ञानिक के पदों में से 1,453 पद खाली हैं. यानी हर पांच में से एक पद खाली है.
केंद्र के अलावा राज्यों में भी नौकरियों को लेकर सरकारों की रुख नकारात्मक है. लोकसभा में रायचूर से बीजेपी सांसद राजा ए नाइक के सवाल के जवाब में HRD मंत्री ने बताया कि स्कूलों में सेकेंड्री और हायर सेकेंड्री में शिक्षकों के कुल 9.14 लाख पदों में से 2.13 लाख पद खाली हैं. इसी तरह पुलिसकर्मियों के स्वीकृत 23 लाख पदों में से पांच लाख पोस्ट काली हैं.
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी डॉक्टरों की भारी कमी है, पर सरकार बहाली नहीं कर रही. आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर 25,743 स्वीकृत पदों में से 8,572 पद खाली हैं. ये तो संसद को बताई गई राज्य सरकारों में काली पदों की स्थिति है. असलियत में राज्यों में खाली कुल पदों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है.